|| बेटी ||
|| बेटी ||
मेरे दिल कि नन्ही गुडीया सी है वो
मेरे अंगण कि प्यारी चिड़िया सी है वो
उसका भोलापन हर पल
दिल को लुभा जाता है
उसको देखते ही न जाने जिंदगी का
दुःख कहा चला जाता है
उसकी मासुमियत दूर करती है
मेरे आंखो कि थकावट
बेटी तो घर कि लक्ष्मी होती है
ये सच्ची हैे कहावत
उसकी निशानीयों को क्यो
अंधेरे मिटा देते है लोग
जिसकेआने से तो पुरे होते है
ये चारो धामों के भोग
अजय तो यही कहता कि
क्यो मिटा देते है मासुम कालियो को
इस दुनिया मे आने से पहले
बेटा बेटी एक समान ये बात
एक बार अपने दिल से कहले
सुनो सब अजय कि ये बात
बेटा ही चाहिये जिद्द करने वाले
बेटे से भी बेहतर सजायेगी
ये तुम्हारे जिंदगी के मेले
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अजय द चव्हाण
उर्फ (राहुल)
खाकी वर्दीतील दर्दी कवी
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