*मासुम सी गुड़िया असिफा *
*मासुम सी गुड़िया*
पुरे देश को रूला गई
वो मासुमसी सी गुड़िया
फड़फड़ाती रही सांसें
चीखती रही नन्ही चिड़िया
चीख उसकी क्यो
चिर न सकी उनका कलेजा
उसके इंसाफ के लिए दरिंदोंको
फाशी के फंदे तक ले जा
जब भी देखु बचपन की वीडियो
आंखे नम सी हो जाती है
देख के दरिंदो की हैवानियत
सांसे थम सी जाती है
थमती सांसो से अब
एक ही हुंकार है
सुरक्षित रखे बेटिया
दिल से ये पुकार है
एक जज्बा एक जुनून
उसकी आँखों से झलकता
इंन्सान है अगर तो इंसानियत का
फूल दिल मे खिलता
ना ओ धर्म जानती थी
ना जानती थी कोई जात
बेटियोंकी फिक्र से बाप की
घुट घुट के कटती रात
बेटियोंकी फिक्र से बाप की
घुट घुट के कटती रात
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अजय द. चव्हाण
उर्फ (राहुल )
खाकी वर्दीतील दर्दी कवी
8424043233
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