Inspirational Poem



*Inspirational Poem*

खुद ही है तू खुद का प्रेरक
अपने अंदर ही तू झाँकता क्यो नहीं है
मन में ही है तुम्हारे भगवान अल्ला ईश 
फिर नींद से तू जागता क्यो नहीं है.......

आने दे आँधी,तूफान संकटोंके
फिर भी तू डगमगाता नहीं है
दिखादे हुनर बाजुओ में है कितना 
ऐसे ही तू झगमगाता नही है
                इतिहास के पन्नो को इंतजार है तेरा 
               बस तू आशा की किरण जगाता क्यो नही है..

तुझमे ही है वो शक्ति 
कुछ अलग कर दिखाने की
मैं कर सकता हु ए 
सबक उनको सिखाने की
         तेरे ही कामियाबी के किस्से लोगोंको सुनाएंगे ओ 
         बस तू भोरोसे की छलांग लगता क्यो नही है.....

मुश्किले तो बहोत आएगी
बस तू अपना हौसला न हारना
लांघ लेे सात समन्दर 
ऐसा विश्वास सांसो में भरना
             कामियाबी कदम चूमेगी तुम्हारे
              बस तू  जिद पर उतरता क्यो नहीं है.....

खुदखुशी ही करनी है तो 
अपने अंदर के डर की करो
चोंक जाए दुनिया कारनामे से
आप लाजवाब काम ऐसा करो
                 रग रग में जिससे पैदा हो जूनून
                 ओ गीत क्यो तू गुनगुनाता नहीं है.....

पैर कटा था लेक़िन 
उसने हार नहीँ मानी 
अजरामर हुई उस 
अरुणिमा सिन्हा की कहानी
                 बस तू ऐसी कहनियोंको 
                दिल से पढ़ता क्यो नहीं है.......

शरीर थक जाता है 
पर मन नहीं थकता 
उनके होसलो के सामने ही तो
ये इतिहास हजार बार झुकता
      चट्टानों से ही निकलता है मीठा सा झरना 
      बस तू इच्छाशक्ति की सब्बल मारता क्यो नही है.....

  ✍✍✍✍✍ अजय द.चव्हाण
उर्फ (राहुल)
खाकी वर्दीवाला दर्दी कवी
मो.8424043233

टिप्पण्या

Unknown म्हणाले…
सर खूपच छान कविता आहे मन हेलावून टाकते आपण छान कविता करता
Unknown म्हणाले…
अप्रतिम सर

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